इस एक दिवसीय बैठक का वैश्विक तापमान एजेण्डा पर हाल के निर्णयों का आकलन करने और सामान्य अवरोधों के लिये समाधान प्रस्तुत करने के लिये आयोजन किया गया.
यूएन महासभा अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने इस कार्यक्रम में कहा, “जानते हैं कि हमने अपनी ग़ैर-ज़िम्मेदारी के साथ ख़ुद को एक कोने में धकेल दिया है. हम ये भी जानते हैं कि हम अगर ये अनिवार्य कार्रवाई करने में देर करना जारी रखेंगे, तो ये स्थिति और भी ज़्यादा ख़राब होगी, और बहुत तेज़ी से.”
असीमित सम्भावनाएँ
उन्होंने कहा कि दुनिया के सामने अपार चुनौतियों के बावजूद, इनसानियत बदलाव ला सकती है, जैसाकि प्रोद्योगिकियों के विकास में देखा गया है, जिसे कभी अकल्पनीय समझा जाता था.
अब्दुल्ला शाहिद ने कहा, “मुझे ख़ुद वो समय याद है जब अक्षय ऊर्जा स्रोतों की शक्ति को, कोई विशेष प्रभाव छोड़ने या बदलाव लाने के लिये, बहुत कमज़ोर और महंगा समझा जाता था. आज वाहनों के क़ाफ़िलों के क़ाफ़िले और अनगिनत घर, अक्षय ऊर्जा के सहारे चलते हैं. पूरे के पूरे नगर व देश, अक्षय या नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर होने की महत्वाकांक्षा रखते हैं. सम्भावनाएँ अपार हैं.”
वैश्विक ‘तिहरे संकट’
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने इस बैठक का स्वागत किया जिसमें प्रतिनिधियों ने जलवायु, मरुस्थलिकरण और जैव-विविधता; महासागरों की स्थिति, और टिकाऊ परिवहन, खाद्य प्रणालियाँ और ऊर्जा जैसे मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख सम्मेलनों से मिली जानकारी की समीक्षा की है.
ये बैठक ऐसे समय में आयोजित हुई है जब, यूएन प्रमुख के शब्दों में, दुनिया तिहरे संकटों का सामना कर रही है – जलवायु व्यवधान, जैव-विविधता की हानि और प्रदूषण.
यूएन प्रमुख ने एक वीडियो सन्देश में कहा, “उत्पादन, उपभोग, बर्बादी और प्रदूषण पर आधारित हमारी जीवन शैलियों ने हमें घातक परिस्थितियों में पहुँचा दिया है.”
“मगर चूँकि पृथ्वी ग्रह की इस आपदा की जड़ में, मानव गतिविधियाँ हैं, इसका अर्थ है कि समाधानों की कुंजी भी हमारे पास ही है. प्रकृति के साथ हमारे सम्बन्धों में बदलाव लाने और एक नया रास्ता बनाने का बिल्कुल सही समय अभी है.”
कार्रवाई अभी करें
यूएन उपमहासचिव आमिना जे मोहम्मद ने कुछ ऐसे क्षेत्र गिनाए जहाँ देशों की सरकारें कार्रवाई कर सकती हैं, जिनमें प्रकृति को देखने और उसकी क़द्र करने के अपने नज़रिये में बदलाव लाना भी शामिल है.
उन्होंने कहा, “हमें मुसीबतों और चरम घटनाओं से बचाने में प्रकृति की क्षमता को मज़बूत करना होगा. इसका मतलब - देशों की बहाली नीतियों, समुद्री और क्षेत्रीय पारिस्थितिकियों के लिये कार्यक्रमों व योजनाओं के क्रियान्वयन में तेज़ी लाना. साथ ही नए रोज़गार सृजित करना, निर्धनता ख़त्म करना और टिकाऊ विकास में बेहतरी लाना भी शामिल है.”
आमिना जे मोहम्मद ने कहा कि देशों को जैव-विविधता के लिये वित्त में अन्तर को 2030 तक भरना होगा, जोकि इस समय 700 अरब डॉलर प्रति वर्ष है.
Comment List